FRONTLINE NEWS CHANNEL

Bidhi pur ashramDivya Jyoti jagrati sansthanFrontline news channelSpiritual

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान बिधिपुर आश्रम जालंधर में सत्संग कार्यक्रम हुआ

जालंधर 4 फरवरी (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर स्थित आश्रम, जालंधर में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम किया गया। जिसमें गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी शशिप्रभा भारती जी ने आध्यात्मिक प्रवचन किए, जिसे पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं ने श्रवण कर लाभ उठाया।

साध्वी जी ने प्रवचनों के अंतर्गत बताया कि एक मनुष्य का जीवन रात्रि के समान है। अमावस्या की घोर रात जैसा! उसके भीतर अज्ञानता का अंधकार व्याप्त है। काम,क्रोध,लोभ, मोह,अहंकार आदि विकारों की कालिमा छाई हुई है। जैसे अमावस्या की काली रात्रि को पूर्णिमा की  प्रकाशित रात्रि में बदलने के लिए एक पूर्ण चंद्रमा की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार इंसान के विकारों से युक्त जीवन रूपी अमावस्या की काली रात्रि को परिवर्तित करने के लिए भी एक चंद्रमा की आवश्यकता होती है। गुरु ही वह चाँद है। पूर्णिमा का पूर्ण खिला हुआ चाँद जो मनुष्य के अंधकारमय जीवन में उतरता है। और अपने ज्ञान प्रकाश से अज्ञानता का हरण कर उसके जीवन को विकारों से मुक्त कर प्रकाशित कर देता है। साध्वी जी ने आगे बताया कि चंद्रमा में एक विशेषता है। उसने सूर्य के साथ एक अटूट बंधन बांधा हुआ है । वह दिन भर सूर्य के प्रकाश को पीता है। उसे ग्रहण कर अपने भीतर समेटता रहता है। और सूर्यास्त होने पर जब संसार गहन अंधकार के कूप में डूबने लगता है , तब यही चंद्रमा नभ में उदित होता है। अपनी रजत चांदनी बिखरने,अपनी शीतल चंद्रप्रभा छितराने! पूर्ण गुरु भी ऐसी ही सत्ता है। उसका सूर्य रुपी परमात्मा के साथ पूर्ण तादात्म्य होता है। प्रभु से वह एकाकार हो चुका होता है। उनमें ईश्वर का ज्ञान प्रकाश पूरी तरह समाया होता है। इसी ज्ञान प्रकाश को प्रदान करने के लिए वह हर युग में इस संसार में आता है। मनुष्य के जीवन की अमावस्या को पूर्णिमा में बदल देता है। कुछ लोग अपने भव्य व्यक्तित्व के कारण हमारे लिए श्रद्धेय हैं। कुछ लोग सदाचरण के कारण आदरणीय,तो कुछ करीब होने के कारण स्नेही। पर ईश्वर का दर्शन करवा कर जीवन में ऐसी पूर्णिमा लाने वाले चंद्र के समान गुरु तो शिष्य के जीवन में सर्वस्व होते हैं। पूजनीय एवं वंदनीय होते हैं। अतः शिष्य का धर्म होता है की वह ऐसे चंद्रमा रूपी पूर्ण सतगुरु के दिखाए मार्ग पर तन-मन व प्राणों से सदा चलता रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *