जालंधर 11 सितम्बर (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में मासिक भंडारे का आयोजन किया गया। मंच सञ्चालन करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साधवी कपिला भारती जी ने बताया कि एक व्यक्ति के जीवन में भक्ति रुपी पौधे का विकसित होना अति आवश्यक है। जैसे एक पौधे को विकसित होने के लिए समय समय पर पूरी खाद, पानी ,मिट्टी इत्यादि की आवश्यकता होती है, जो कि माली की देख-रेख में ही पूरी हो सकती है। ठीक इसी प्रकार एक साधक के जीवन में सेवा, भक्ति, सत्संग का होना अति आवश्यक है, जो कि पूर्ण गुरु के सानिध्य में ही पूरा हो सकता है। सत्संग सभा में स्वामी परमानन्द जी ने एक भक्त के जीवन में गुरु सेवा के महत्त्व को व्याख्यान करते हुए बताया कि जैसे वृक्ष सभी को छाया प्रदान करता है, गाय दूध प्रदान करती है, जो कि प्रकृति का नियम है। और ये इस नियम को बाखूबी पूरा करते है। ठीक इसी प्रकार एक भक्त के लिए गुरु की सेवा को अपने जीवन में शिरोधार्य करना उसके जीवन का परम नियम होता है। जब एक साधक पूर्ण निष्ठा व लगन से अपना सर्वस्व अर्पित कर, गुरु सेवा करता है, तो उसे गुरु की प्रसन्नता प्राप्त होती है। और जिसने गुरु को प्रसन्न कर लिया, उसे सब कुछ मिल गया। फिर कुछ पाना शेष रह नहीं जाता। गुरु स्वयं उसकी हर आवश्यकता और हर उचित इच्छा को पूरा कर देते हैं।