जालन्धर 31 जुलाई (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान जालंधर आश्रम में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहां उपस्थित समस्त संगत को संबोधित करते हुए साध्वी पल्लवी भारती ने कहा गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की एक अद्वितीय और अमूल्य धरोहर है, जिसमें गुरु भक्ति का विशेष महत्व है। इस परंपरा ने अनगिनत पीढ़ियों को न केवल ज्ञान प्रदान किया है, बल्कि उन्हें जीवन के उच्च आदर्शों और नैतिक मूल्यों की दिशा में भी मार्गदर्शन किया है। स्वामी सज्जनानंद ने कहा गुरु भक्ति, भारतीय समाज में सदियों से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है। यह केवल शिष्य द्वारा गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मार्गदर्शन है जो शिष्य को जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है। गुरु अपने शिष्यों को न केवल शैक्षणिक ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें आत्मज्ञान और आत्मविश्वास की दिशा में भी प्रेरित करते हैं। साध्वी कंवल भारती ने कहा प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों में भी गुरु भक्ति की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान त्रिमूर्ति माना गया है, जो सृजन, संरक्षण और संहार के प्रतीक हैं। इस प्रकार, गुरु की भूमिका केवल शिक्षा तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे शिष्य के सम्पूर्ण विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। वर्तमान समय में, जब भौतिकवादी दृष्टिकोण और तात्कालिक संतुष्टि की प्रवृत्ति बढ़ रही है, गुरु भक्ति की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और हमें आत्मसंयम, धैर्य और कृतज्ञता के मूल्यों की याद दिलाती है। सभी संगत ने एकत्रित होकर ध्यान साधना की एवं भक्ति मार्ग पर दृढ़ता से चलने का प्रण किया।