नूरमहल 13 जून (रमेश कुमार) ज्योति जाग्रति संस्थान’ नूरमहल आश्रम में 13 – 16 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए समर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में सम्मलित प्रत्येक बच्चे का चेहरा कुछ नया सीखने के लिए उमंग और उत्साह से भरा हुआ था। प्रथम दिवस में साधवी राजविंदर भारती जी ने बताया कि अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई को मुश्किल मानते हैं उन्हें पढ़ाई करना बोरिंग लगता है इसका सबसे बड़ा कारण है उन्हें सही ढंग से पढ़ाई करने का तरीका पता न होना। वो पढ़ाई के विषयों को रट्टा लगाते हैं उन्हें समझकर नहीं करते| पढ़ाई को कभी रटने की आदत न बनाएं, बल्कि उसे समझकर पढ़ें। यदि आप पढ़ाई को विज़ुअलाइज़ेशन, क्रिएटिविटी और प्रैक्टिकल तरीकों के साथ समझकर और लगातार हर दिन करेंगे, तो आप वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं जो आप चाहते हैं।इसके बाद साधवी मनेन्द्रा भारती जी ने बच्चों को व्यक्तित्वशाला के प्रति प्रशिक्षित करते हुए जीवन के श्रेष्ठ मंत्र बताये। जिसमें सबसे पहले उन्होंने बताया कि अपनी गलतियों को हमेशा स्वीकार करते हुए, जहाँ से भी आपको कुछ अच्छा सीखने को मिले उसके लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। क्यूंकि सबसे पहले आपका परिवार ही आता है जहां आपकी कमजोरी ताकत में परिवर्तित हो सकती है। आगे उन्होंने एक एक्टिविटी के माध्यम से बच्चों को उचित और अनुचित की पहचान करवाते हुए अश्लीलता, बुराई, झूठ, मोबाइल के गलत उपयोग इत्यादि से दूर रहकर श्रेष्ठ आचरण जीने का मंत्र सिखाया। क्यूंकि आज के आधुनिक युग मे बच्चे मोबाइल पर गेम्स खेल कर, videos देखकर अपने घंटों बर्बाद कर देते हैं। इसके कारण बच्चे बहुत चिड़चड़े होते जा रहे हैं। उन्होंने बताया की ऐसी बुरी आदतों का क्षणिक आनंद आप के पूरे जीवन को बर्बाद कर सकती है। इसलिए इस उम्र में कुछ अच्छा ग्रहण करने में थोड़ी मेहनत जरूर लगेगी किन्तु आपका पूरा जीवन आनंद भरपूर हो जाएगा।
Summer workshop was organized for children at ‘Jyoti Jagrati Sansthan’ Noormahal Ashram.