FRONTLINE NEWS CHANNEL

BhogpurDivya Jyoti jagrati sansthanFrontline news channelJalandhar

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा भोगपुर में अध्यात्मिक कार्यक्रम  किया गया

भोगपुर 28 मई (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा भोगपुर में अध्यात्मिक कार्यक्रम  किया गया। इस  कार्यक्रम में दिव्य गुरू श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी सज्जनानंद जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि संस्थान   मानव में क्रांति और विश्व में शांति के लिए सत्य सनातन ब्रह्मज्ञान का पथ दिखा कर समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है।  जब प्रत्येक मानव के अंतःकरण में शांति होगी तभी विश्व सही मायनों में शांत हो पाएगा।

स्वामी जी द्वारा गुरु के जीवन में महत्व के विषय में समझाया गया। जीवन को सुंदर और शांत बनाने वाले ज्ञान और ध्यान की कला केवल पूर्ण गुरु ही प्रदान करते हैं। जो मानव मन के अज्ञान तिमिर को मिटाकर ज्ञान रश्मियों से जीवन का मंगल घट भर दें। उन्होंने कहा कि अध्यात्म आनंद से परिपूर्ण संतुलित जीवन जीने की कला सिखाता है। इसके बिना केवल भौतिक जगत की दौड़ में लगा मानव मन चिंताओं से ग्रस्त रहता है। चिंता से चिंतन की तरफ बढ़ने के लिये ईश्वर दर्शन करवाने वाली एक मात्रा विधि ध्यान ही है।

स्वामी जी ने बताया कि हमारे धार्मिक शास्त्रों में भी ऋषि-मुनियों ने कहा कि संपूर्ण चराचर जगत में ब्रह्म-प्रकाश का अनुभव करना कोई साधारण बात नहीं है। यह केवल गुरु प्रदत्त दिव्य दृष्टि द्वारा ही संभव है। उसी से साधक प्रत्येक कृति में व्याप्त उस एक पारलौकिक सत्ता का दर्शन कर पाता है। श्री कृष्ण जी गीता में उद्घोष करते हैं कि- ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’ अर्थात् यह सम्पूर्ण जगत सूत्र में मणियों के सदृश मुझमें पिरोया हुआ है। जो भी इस सार्वभौमिक ब्रह्म सूत्र का साक्षात्कार कर लेता है, उसी के लिए यह सम्पूर्ण जगत एक दिव्य माला और प्रत्येक जीव, इस माला में गुँथी एक मणि के समान हो जाता है। इसीलिये स्वामी विवेकानंद जी का भी यही कहना था कि एक दुर्जन के लिए संसार नरक स्वरूप है। इसके विपरीत एक सज्जन के लिए यह स्वर्ग सदृश ही है। और इससे भी विराट दृष्टिकोण ज्ञानी-भक्त का होता है, जिसके लिए यह संसार साक्षात् उस एक ईश्वर का ही प्रतिरूप बन जाता है। नामदेव, चैतन्य महाप्रभु, मीरा, प्रह्लाद जैसे महान भक्तों ने भी हर कण, हर काया में श्री भगवान के दर्शन किए थे। चैतन्य महाप्रभु जब भी काली घटाओं को देखते थे, तो उन्हें उनमें भी अपना श्यामल कृष्ण दिखाई देता l यही समदृष्टि व विस्तारित प्रेम की भावना विश्व में शांति व सद्भावना प्राप्त करने का मुख्य आधार है। इन्हीं के द्वारा भेद-भाव की संकीर्ण दीवारें ध्वस्त हो सकती हैं और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का भाव साकार हो सकता है।

कार्यक्रम के दौरान प्रेरणादायक संगीतमय में ढंग से सुंदर भजनों का गायन साध्वी रीता भारती,  साध्वी शुभानंदा , भारती साध्वी अखंड ज्योति भारती,  के द्वारा किया गया।

Spiritual program organized by Divya Jyoti Jagrati Sansthan in Bhogpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *