4 दिसम्बर (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने गाँव नूरपुर, पठानकोट रोड, जालंधर में श्री गुरु रविदास जी को समर्पित तीन दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसके दूसरे दिन श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी दिनकरानंद जी ने आध्यात्मिक व्याख्यान दिए। सत्संग व्याख्यान से लाभ उठाया।
स्वामीजी ने बताया कि इस भौतिक संसार में हर जीवन में अशांति का माहौल है यह बेचैनी दुनिया के किसी भी भोग से दूर नहीं हो सकती। ज्ञान के अभाव में जीव राग-द्वेष, मोह-माया के गहरे अंधकार में भटक रहा है। जब तक उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हो जाती, वह इसी प्रकार भटकता रहेगा।
स्वामी जी ने बताया कि आज मनुष्य अपने परम लक्ष्य को भूल गया है। उसने अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद को सीमित और कैद कर लिया है। वह अपनी भौतिक आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए सांसारिक वस्तुओं के अधिग्रहण में पूरी तरह से तल्लीन है। भौतिक समृद्धि के बावजूद
शाश्वत शांति और आनंद उसकी समझ से फिसलता जा रहा है। वास्तव में, सच्चा सुख सुन्दर शरीर या भौतिक समृद्धि में नहीं है। यह व्यक्ति की आंतरिक स्थिति पर निर्भर करता है।
कितना दुखद है कि मनुष्य के रूप में जन्म लेने के बाद भी हमने आत्मा को जानने का प्रयास नहीं किया।
आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर का साक्षात्कार केवल इस मानव शरीर में ही संभव है। यह भाग्य किसी अन्य प्राणी को प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए आज हमें ज्ञान प्राप्ति के प्रयास में जुटने की जरूरत है। यह तब होगा जब हम अपनी ऊर्जा को ईश्वर प्राप्ति की ओर मोड़ेंगे। और यह ‘ब्रह्म-ज्ञान’ की दीक्षा के बाद ही संभव है। पुराण संत द्वारा ब्रह्मज्ञान की दीक्षा लेने पर व्यक्ति भीतर से जागृत हो जाता है और यह लक्ष्य यानि मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम है।
Second day of the program dedicated to Shri Guru Ravidas Maharaj Ji in village Noorpur Jalandhar