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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से तीन दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत ” वन्दे जगद्गुरूम्” कार्यक्रम हुआ संपन्न

7 नवम्बर (रमेश कुमार) ज्योति जाग्रति संस्थान एवं श्री गीता मंदिर प्रबंधक कमेटी की ओर से तीन दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत ” वन्दे जगद्गुरूम्” कार्यक्रम संपन्न हो गया। कथा कार्यक्रम के अंतिम दिन में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री मेधावी भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को इंद्रदेव की पूजा के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा हेतु प्रेरित किया था। गोवर्धन पर्वत की आराधना के माध्यम से जग के पालनहार श्री कृष्ण ने प्रकृति संरक्षण की ओर समाज का ध्यान इंगित किया। उन्होंने गोकुल वासियों को पेड़ पौधों व पशुओं की रक्षा करने हेतु प्रेरित किया। जीवन यापन संबंधी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाने हेतु प्रकृति का आभार व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया ।भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर ऊंचा उठाकर प्रकृति के सम्मान को ऊंचा करने का संकेत दिया। प्रकृति को सहेजने और उसका सम्मान करने हेतु समस्त मानव जाति का आह्वान किया। प्रभु ने गोवर्धन लीला के माध्यम से गोवर्धन पर्वत को उठाकर हमें यह भी समझाने का प्रयास किया कि गोवर्धन हमारे जीवन रूपी पहाड़ और समस्याओं का प्रतीक है। किंतु आज हम उस मुख्य बिंदु से अज्ञात हैं, जिसके द्वारा जीवन रूपी पहाड़ का भार निपुणता से वहन किया जा सकता है। इसी कारण हम समस्याओं, विकारों, कर्म संस्कारों के बोझ से व्यथित होते रहते हैं बोझिल महसूस करते हैं। इस पहाड़ को ठीक से उठा नहीं पाते और परिस्थितियों से हताश और निराश हो जाते है। गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका पर उठाकर श्री कृष्ण ने मनुष्य को जीवन पर्वत को उठाने की कला सिखाई। जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने पर्वत को उसके स्थिर केंद्र बिंदु से उठाया; उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन रूपी पर्वत का वह केंद्र बिंदु खोजना होगा, जहां शून्यत्व स्थित है। जहां पहुंचकर हमारे विचार विकार शून्य हो जाते हैं। यह केंद्र बिंदु अंतर जगत में स्थित आज्ञा चक्र है।यही हमारे जीवन रूपी पहाड़ का स्थिर बिंदु है। इसी एक बिंदु पर केंद्रित होकर हम जीवन रूपी पर्वत का भार सहजता के साथ उठा पाते हैं। श्री कृष्ण स्वरूप सद्गुरु ही हमें दिव्य ज्ञान – ब्रह्म ज्ञान प्रदान कर इसी आज्ञा चक्र पर केंद्रित होने की कला सिखाते हैं। तत्पश्चात ध्यान साधना के अभ्यास द्वारा हम विकट से विकट परिस्थिति में भी अडिग खड़े रहते है । तब जीवन की स्थितियां हमें बोझिल नहीं लगती, हम आसानी से उनका वहन कर लेते हैं।
कथा के अंतिम दिन की सभा को विश्राम प्रभु की पावन आरती करके दिया गया। आरती में विशेष रूप से स्वामी सज्जनानंद, सुशील रिंकू (सांसद), रमन अरोड़ा (विधायक), समीर गोल्डी मरवाहा, साध्वी पल्लवी भारती, साध्वी पुष्पभद्रा भारती, साध्वी भावार्चना भारती, साध्वी वसुधा भारती, साध्वी पूनम भारती,साध्वी रीना भारती, सुनील मल्होत्रा, सुरेश सेठी, सुरिंदर सोनिक,रमेश शर्मा, वासु छिब्बर एडवोकेट, दीपक लूथरा, रघु छिब्बर,अंकित भगत, नीतीश दलमोत्रा, रघु सिंह, राजिंदर संधीर, डॉक्टर बी डी शर्मा, संजीव कुमार, मुनीश परमार, पारस विज, अरुण सहगल, विपन जैरथ, अविनाश कुमारी, रीना चड्डा, ऋतु सेठी, मीनाक्षी मरवाहा, वीना महाजन, रमा चड्डा, आर के गांधी, संजीव शर्मा, और अन्य श्रद्धालुगण उपस्थित हुए। इस दौरान सारी संगत के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई।

Three day Shri Krishna Katha concluded by Divya Jyoti Jagrati Sansthan and Shri

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