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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा जालंधर के विक्टोरिया गार्डन में भजन संध्या का आयोजन किया गया

3 अक्तूबर (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा विक्टोरिया गार्डन में शिव संकल्पमस्तु नामक भजन संध्या करवाई गई। जिसके भीतर गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या जयंती भारती जी ने बताया कि शिव के तत्त्वरूप- प्रकाश का प्रतीकात्मक चिन्ह है-

शिवलिंग अथवा ज्योतिर्लिंग! यह ज्योतिर्लिंग कहीं बाहर नहीं हैं। इस काया रूपी मंदिर के भीतर है। जो इस आंतरिक जगत में उतर कर पूजा करता है उसके जन्म-जन्म के पाप कट जाते है। पर इस परम ज्योति को प्राप्त कैसे किया जाए। इसके लिए एक और प्रश्न आता है। क्या केवल भगवान शिव ही त्रिनेत्रधारी हैं? नहीं! उनके स्वरूप का यह पहलू हमको गूढ़ संकेत देता है। वह यह कि हम सब भी तीन नेत्रों वाले हैं। हम सबके आज्ञा चक्र पर एक तीसरा नेत्र स्थित है। पर यह नेत्र जन्म से बंद रहता है। इसलिए भगवान शिव का जागृत तीसरा नेत्र प्रेरित करता है

कि हम भी पूर्ण गुरु की शरण प्राप्त कर अपना यह शिव-नेत्र जागृत कराएँ। जैसे ही हमारा यह नेत्र खुलेगा हम अपने भीतर समाई ब्रह्म-सत्ता जो कि प्रकाश स्वरूप में विद्यमान है उसका साक्षात्कार करेंगे।अतः पूर्ण गुरु से ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्राप्त कर तत्त्वज्ञानी बन शाश्वत ज्योति का साक्षात्कार करें, अनहद नाद का अलौकिक संगीत सुने तथा अमृत का पान करें। सिर्फ बहिर्मुखी रहकर बाहरी अभिव्यक्ति में ही न अटके रहें।

साध्वी जी ने अपने विचारों से बताया कि सोमनाथ भगवान शिव युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं कि संसार के बाहरी नशे में अपने जीवन का नाश न करें। अपने अंतःकरण में उतरकर सोम अमृत का पान करें। भक्तों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग और राष्ट्र का मेरुदंड युवा अगर नशे में डूबा रहेगा तो समाज और मानवता के प्रति अपने  दायित्वों का निर्वाह कब करेगा? भगवान शिव के साथ भांग धतूरा जैसे नशों को जोड़कर अपने मनोरंजन की सिद्धि के लिए नशों का सेवन न करें। नशे को बढ़ावा देने वाले भजनों को गाकर भगवान शिव के स्वरूप को अपमानित न करें। क्योंकि भगवान शिव नशा नहीं करते थे। वह तो ध्यान में उतरकर भक्ति के आनंद में रहते रहते थे। यह हमारे लिए एक प्रेरणा है अगर तुम भी अपने जीवन के समस्त व्याधियों से दुखों से मुक्ति पाना चाहते हो, अपने जीवन में आनंदित होना चाहते हो तो ज्ञान की कला को सीख कर तुम भी भगवान शिव के सच्चे भक्त बन सकते हो। 

एक पूर्ण सद्गुरु शरणागति साधक को ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्रदान कर उसकी दिव्य दृष्टि खोल कर उसे ध्येय स्वरुप ईश्वर के प्रकाश स्वरुप का दर्शन करवाते हैं।

ईश्वर से एकात्म हुए साधक का हर दिन हर पल एक दिव्य पर्व से जीवन का गर्व बन जाता है।इस दौरान स्वामी जनों एवं साध्वी बहनों द्वारा ‘जय जय सोमनाथ’ शिव कैलशों के वासी’ आदि बहुत ही सुंदर भजनों का गायन किया गया।

Bhajan evening was organized by Divya Jyoti Jagrati Sansthan at Victoria Garden, Jalandhar.

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