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परमात्मा का साक्षात्कार कर लेना ही जीवन का वास्तविक ध्येय है – स्वामी गुरुकिरपा नंद जी

जालन्धर 18 अगस्त (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में रविवार को मासिक भंडारे का आयोजन किया गया। मंच की प्रस्तुति में स्वामी सज्जनानंद जी ने बताया कि जो सच्चा सुख, शाश्वत आनंद ईश्वर की स्तुति में मिलता है, वह ब्रह्माण्ड की अन्य कोई वस्तु या कोई स्थान से प्राप्त नहीं हो सकता। सतसंग सभा के दौरान गुरु किरपानंद जी ने जीवन के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि आज का इंसान समाज की सेवा करना, दूसरों का भला करना, सबके लिए अच्छा करना व सोचना इसे ही भक्ति भजन समझता है। किन्तु स्वामी जी ने बताया कि यह सब तो मानव जीवन के कर्त्तव्य हैं अध्यात्म की परिभाषा को नैतिकता तक संकुचित कर देना उचित नहीं। उन्होंने बताया कि परमात्मा का साक्षात्कार कर लेना ही जीवन का वास्तविक ध्येय है। जब एक इंसान आत्मानुभूति को प्राप्त कर लेता है तब उसके जीवन में नैतिकता स्वतः ही प्रगट हो जाती है इस के बाद “जब हर भारतीय के सीने पे तिरंगा लहराएगा” भजन ने सब को देश प्रेम के रंग में रंग दिया। साधवी पल्लवी भारती जी ने बताया कि ज्ञान के अभाव में आज का मानव, जिस राग द्वेष मोह माया के गहन अंधकार में भटक रहा है, इसके लिए आवश्यकता है कि इस विकार ग्रस्त मन का परिचय उसके  सच्चे विशुद्ध आत्मस्वरूप से कराया जाए। यह परिचय बाहरी साधनों से संभव नहीं है केवल ब्रह्म ज्ञान की प्रदीप्त अग्नि ही व्यक्ति के हर पहलू को प्रकाशित कर सकती है। ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के बाद एक मानव के व्यक्तित्व में बदलाव आ जाता है। एक इंसान अज्ञानता से विवेक, अंधकार से प्रकाश, नकारात्मक से सकारात्मक विचारों में परिवर्तित हो कर आत्मा में स्थिर होने लगता है। यही ब्रह्मज्ञान की सुधारवादी प्रक्रिया है। अगर हम जीवन का यह वास्तविक तत्व यानी ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं तो हमेंसच्चे सतगुरु की शरण में जाना होगा। वह हमारा दिव्य नेत्र खोलकर हमें ब्रह्मधाम तक ले जा सकते हैं, जहां मुक्ति और आनंद का साम्राज्य है।

The real goal of life is to interview God – Swami Gurukirpa Nand Ji

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