2 अगस्त (रामेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें सैंकड़ों भक्तो ने सतसंग प्रवचनो का लाभ उठाया । जिसमें श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी शशिप्रभा भारती जी ने बताया कि इस भौतिक जगत में विषय भोगों के कारण प्रत्येक जीवन में अशांति का वातावरण है। यह अशांति संसार के किसी उपभोग साधन से दूर नहीं हो सकती। ज्ञान के अभाव में जीव राग-द्वेष, मोह-माया के गहन अंधकार में भटक रहा है। जब तक उसे आत्म-ज्ञान का प्रकाश नहीं मिलेगा, तब तक यह यों ही भटकता रहेगा। साध्वी जी ने बताया कि आज मनुष्य अपने अंतिम लक्ष्य को भूल गया है। उसने अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को जुटाने में अपने आप को सीमित तथा बंधक बना रखा है। अपनी भौतिक जरूरतों और कामनाओं की संतुष्टि के लिए वह दुनियावी वस्तुओं को प्राप्त करने में पूरी तरह लिप्त हो गया है। भौतिक सम्पन्नता के बावजूद शाश्वत-शान्ति और आनन्द उसकी पकड़ से बाहर होते जा रहे हैं। वास्तव में सच्चा सुख सुन्दर शरीर या भौतिक सम्पन्नता में नहीं होता। यह तो व्यक्ति की आन्तरिक दशा पर निर्भर करता है। कैसी विडम्बना है कि मनुष्य का जन्म पाकर भी हमने आत्मा को जानने का प्रयास नहीं किया। वास्तव में सच्चा सुख तथा मन की शान्ति आत्मा को जानने के बाद ही प्राप्त की जा सकती है। आत्म-बोध तथा ईश्वर का बोध केवल इस मानव शरीर में ही सम्भव है। किसी अन्य जीवधारी को यह सौभाग्य नहीं मिला है। इसलिए आज हमें अन्तर्जागरण के प्रयास में रत रहने की आवश्यकता है। यह तब होगा जब हम अपनी ऊर्जा को ईश्वर के साक्षात्कार की दिशा में मोड़ देंगे। और यह केवल ‘ब्रह्म-ज्ञान’ में दीक्षित होने पर ही सम्भव है। पूर्ण संत के द्वारा ब्रह्म-ज्ञान में दीक्षित होने पर व्यक्ति भीतर से जाग्रत हो जाता है और लक्ष्य यानी मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में यह पहला कदम है।