फ्रंट लाइन (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल में संतुलन प्रकल्प के तहत “युग निर्माणी नारी” शीर्षक के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मनस्विनी भारती जी ने मंच संचालन के प्रारंभ में नारी को नारायणी की संज्ञा देते हुए कहा कि आधुनिक समाज नारी प्रधान समाज है। एक समय था जब नारी को घर के कार्यों तक ही सीमित रखा जाता था, लेकिन आज वही नारी घर को सँभालने के साथ-साथ हर क्षेत्र में पुरुषों के समान खड़ी है। परन्तु इस समाज में अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो नारी को संघर्ष, दुःख, व्यथा जैसे शब्दों की संज्ञा देतें हैं।
कार्यक्रम दौरान साध्वी बहनों के द्वारा नारी विशेष भजनों का गायन किया गया जिसमें उन्होंने समाज को यही सन्देश दिया कि आधुनिक नारी ब्रह्मज्ञान के द्वारा स्वयं को जागृत करके पूरे समाज को बदलने का सामर्थ्य रखती है और शीलता और सौम्यता को धारण करके वह समाज की रूढ़िवादी प्रथाओं का दमन करेगी।
साध्वी सौम्या भारती जी ने प्रवचनों की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ब्रह्मज्ञान ही एक ऐसा माध्यम है जिसके बिना भक्ति मार्ग का यह सफ़र तय करना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है और श्रद्धा, विश्वास भक्ति मार्ग के वह मील पत्थर हैं जो हमारे अंदर हिम्मत और उत्साह को बनाकर रखते हैं।
इसके बाद नाटिका के माध्यम से संदेश दिया कि आज की नारी उच्च शिक्षा तो ग्रहण कर लेती है, अपने बच्चों और पति के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ जीवन निर्वाह करती है किन्तु कहीं न कहीं परिवार के दूसरे सदस्यों के प्रति उसका व्यव्हार अनुचित हो रहा है और अंत में कैसे वह सत्संग के शुभ विचारों पर मनन करके अपना जीवन परिवर्तित करती है। तत्पश्चात साध्वी तपस्विनी भारती जी प्रवचनों में बताया कि नारी वह है जिसमें सतगुरु बिछोह की आह हो, आत्म क्रांति की दाह हो और ध्यान साधना को छूने की चाह हो, वही नारी नवयुग की स्थापना में सहयोग दे सकती है।