दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा चल रही सात दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का चौथा दिन मां के दुर्गा अवतार और दुर्गम वध प्रसंग के साथ संपन्न हुआ।
श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास भागवत भास्कर साध्वी भद्रा भारती जी ने कहा जब जब भी आसुरी शक्तियां अपना सर उठाती है मानवता का त्रास होता है तब तब वो शक्ति अवतार धारण कर दुष्टों का संघार और मानवता का भला करती है। श्रीमद देवी भागवत पुराण में मां के कितने ही रूप वर्णित हैं जिसमे वो दुष्टदलनी आदि भवानी बन कर प्रकट हुई। परंतु प्रश्न यह पैदा होता है क्या दानव कोई विशेष जाती ही है अथवा कुछ ओर इसका एक ही उत्तर है दानव मात्र विशेष जाति नहीं अपितु मानव मन में छिपे दुर्गुण हैं,काम क्रोध लोभ मोह अहंकार की ज्वाला में जलता मानव अपनी वास्तविक पहचान भूल गया है इसी लिए हमारे वैदिक ऋषियों ने एक सुक्ति दी मनुर्भव- मनुर्भव अर्थात मनुष्य बनो। यह केवल मौखिक ऊँच्चारण से काम नहीं चलेगा, वास्तविकता के धरातल पर इस सुक्ति को उतारना होगा। इसके लिए एक-2 व्यक्ति की हृदय भूमि पर मानवीय गुणों को रोपना जरूरी है। धन उपार्जन की कला सिखाने वाले आज के शिक्षालय मानव का निर्माण नहीं कर सकते। वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में भी चरित्र निर्माण नहीं होता, मानव को मानव बनाने का कार्य एक बड़ी चुनौती है। जिसे आज तक केवल अध्यात्म ने ही स्वीकारा है। यदि इस धरा पर अध्यात्म न हो तो मानव पशु समतुल्य ही बन जाए। वास्तविक मानव कहीं लुप्त हो जाए। साधवी जी ने आगे विचारों में कहा मनन करने के लिए केवल ईश्वरीय सत्ता है। इसलिए जब मनुष्य सदगुरू की शरण को प्राप्त करता है, अपने भीतर ईश्वर का दर्शन करता है फिर वास्तव में वह मनुष्य बनता है। ब्रह्मज्ञान की वर्षा ही मानव के कलुषित् हृदय को धो सकती है पाश्विकता में सने हुए समाज को स्वच्छ, सुन्दर और रहने योग्य बना सकती है। ऐसा ही ब्रह्मज्ञान दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की अनुकम्पा से मानव हृदय में प्रदान किया जाता है। जिसे प्राप्त कर पाश्विक वृत्ति से घिरा मानव वास्तव में मानव बन देवत्व की प्राप्ति करता है। आज हमें भी ब्रह्मज्ञान की आवश्यकता है। मां तो सब में समाई हैं किंतु प्रकट नहीं। पास हैं पर नजर नहीं आती क्योंकि देखने वाला नेत्र नहीं,पता नही कितने ही दुर्गुण से भरे दुर्गम हमारे मन में हैं, मां से प्रार्थना है, हे आदि शक्ति मां आदि भवानी हमारे घट में दुर्गा रूप को प्रकट कर दुष्टों का संघर करें।
भजनों पर नाचते झूमते भक्तों के जयकारों से मानो सारा सुल्तानपुर शहर गूंज उठा।
इस अवसर पर पंजाब सरकार के खजाना मंत्री सरदार हरपाल सिंह चीमा, दिल्ली सरकार के सलाहकार दीपक बाली, डी. एस. पी बबनदीप, स्वामी परमानंद, स्वामी सज्जनानंद, स्वामी प्रभुरामनानंद ने दीप प्रज्वलित की। साध्वी गुरप्रीत भारती, डा नेहा, परमिंदर, ने सहित सभी ने मां की पावन आरती की।
राकेश छूरा, सुध बावा, निर्मल सिंह ने पूजन किया।
Whenever demonic forces raise their head, humanity is in trouble.