फ्रंट लाइन (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया। सत्संग सभा का आरंभ प्रार्थना द्वारा किया गया, जिसमें मंच संचालन की प्रस्तुति करते हुए स्वामी विश्वानंद जी ने बताया कि इस धरा पर परमात्मा का अवतार सज्जन पुरुष द्वारा की गई मूक प्रार्थनाओं का ही प्रतिउत्तर होता है। आज हम इस जीवन की भागदौड़ में इतने व्यस्त हैं कि हमारा ध्यान भी विचलित होता है । स्वामी जी ने कहा कि यह स्वभाविक है क्यूंकि भौतिकवाद के इस युग में समाज की गति भी तेज होती जा रही है और इस गति में हमने अपने मन को केंद्रित कर के प्रार्थना के भाव अपने हृदय में धारण कर के प्रभु को याद करना है।
जीवन नदिया के चलते प्रवाह के बारे में साध्वी वीरेशा भारती जी ने बताते हुए कहा कि हम आत्मा रूपी नदिओं के भीतर से तब तक हूंकार और कलकल की आवाजें ध्वनित होती रहेंगी जब तक हम आधार स्रोत राम रुपी सागर में समाहित नहीं हो जातें, परन्तु हमारा ये सफर लम्बा और कठिन भी है। इसलिए हमें कोई तो ऐसा चाहिए जो हमारे इस सफर में हमें हौसला दे और हमारा मार्ग प्रशस्त करे ता कि हम आत्माएं भी भक्तों, सन्तों की तरह अपनी मंजिल प्रभु तक पहुंच पाएं। साध्वी जी ने कहा कि एक साधक की साधकता के निर्माण में गुरु की भूमिका सर्वोपरी होती है क्यूंकि गुरु ही है जो एक अधोगामी मन को उर्ध्वगामी बनाता है। हमें चेतनायुक्त एवं विवेकशील बनाकर विवेक दृष्टि प्रदान करता है ता कि हम अपने जीवन को सफल और सार्थक कर पाएं।
इसके बाद स्वामी ज्ञानेशानन्द जी ने ब्रह्मज्ञान से अवगत कराते हुए कहा कि महापुरषों ने इस संसार को एक जेल की संज्ञा दी है। क्यूंकि इस संसार में रहते हुए हमारी आत्मा बंधन में है। चौरासी के घेरे में बंधी हुई है और जीवनयापन करने के लिए भी इंसान को प्रतिदिन इस संसार रुपी जेल में अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता है। परन्तु विडम्बना तो यह है कि संसार के सभी मनुष्य इस जेल में रहते हुए ही अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं। कोई भी इस जेल से यानि इस भाव बंधन से मुक्ति की मांग नहीं करता। कोई विरला ही व्यक्ति होता है, जो महापुरषों से उस शाश्वत ब्रह्मज्ञान की मांग कर संसार के कारावास से मुक्त होता है। स्वामी जी ने बताया की हमारा प्रयास यही है कि जन साधारण को जीवन में सही चुनाव करने का विवेक मिले। हर जीवात्मा भव-बंधनों से मुक्ति पाने की अभिलाषी बने।
Monthly satsang program was organized at Divya Jyoti Jagrati Sansthan Nurmahal Ashram