FRONTLINE NEWS CHANNEL

Divya Jyoti jagrati sansthanFrontline news channelJalandharSpiritual

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में “तू है शक्ति” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

फ्रंट लाइन (रमेश, नवदीप)  ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में संस्थान के संतुलन प्रोजेक्ट के अंतर्गत भव्य स्तर पर ” तू है शक्ति” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें संस्थान के संस्थापक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री तपस्विनी भारती जी ने समस्त मातृशक्ति को नारी सशक्तिकरण के बारे में समझाया।
साध्वी जी ने बताया कि वैदिक काल में भारतीय महिलाओं की स्थिति समाज में काफी ऊंची थी, उन्हें हर कार्य क्षेत्र में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। वैदिक काल में भारतीय महिलाएं कम उम्र से ही शिक्षित थी। उस समय में भारतीय महिलाएं सभी धार्मिक क्रियाओं में भाग लेती थी। उन्हें क्रियाएं संपन्न कराने वाले पुरोहितों और ऋषियों का दर्जा भी प्राप्त था। पुत्र हो या पुत्री उनके पालन पोषण में कोई भेदभाव नहीं किया जाता था। बल ज्ञान और विजय की देवी में केवल नारी को ही देवियों का रूप माना गया है। आदिकाल से हमारे देश में नारियों की पूजा होती आ रही है! 
परंतु आज भारत देश में प्रतिवर्ष अनेकों बच्चियों का अंतिम संस्कार मां के गर्भ में ही हो जाता है । कौन जिम्मेदार है नारी के इस अकथ को कथा का क्या समाज कि इस”आधी आबादी” की यही नियति रहेगी क्या नारीत्व एक दंश है जिसे भोगने के लिए एक नारी बाध्य हैं।
हमारी शास्त्रों में स्त्री शब्द के अनेकों प्रायवाची “नारीत्व” कि इस गरिमा को दर्शाते हैं ।सर्वप्रथम स्त्री शब्द को देखें । स्त्री स्तर धातु से उत्पन्न होता है ।जिसका अर्थ है विस्तार फैलाव। विनोबा भावे जी के अनुसार यह विस्तार प्रेम,स्नेह ,ममता आदि का ही है । इसलिए उन्होंने एक स्त्री को सामाजिक माता का दर्जा दिया।
साध्वी जी ने कहा यदि “नारी” को अपनी नियति के अंधेरे का समूल नाश करना है तो वह आत्मबल का आह्वान करें ।अपने आत्मिक ज्योति को प्रकट करें, यह आतम प्रकाश केवल और केवल आध्यात्मिक के बलबूते पर जाग्रति किया जा सकता है l ब्रह्मज्ञान ,आत्मज्ञान ,ब्रह्मविद्या यही सनातन माध्यम है। इसलिए मातृशक्ति स्वयं को कंचित भी दुर्बल ना माने ।प्रकृतिक के इस वरदान को अपने भीतर फलने फूलने का मौका दें । ब्रह्म ज्ञान पाकर अपनी आत्मिक शक्ति को प्रकट करें जागृत करें ।अपने चरित्र में अध्यात्मिक उजाला भरले। तब एक नारी पाएगी कि आज का शोषण किया भक्षक समाज आपका प्रशंसक और उपासक बन गया है।
इस कार्यक्रम में बच्चियों के द्वारा नृत्य का मंचन किया गया एवं गार्गी और याज्ञवल्क्य के प्रसंग को नाटिका के माध्यम से मातृशक्ति के समक्ष प्रस्तुत किया गया l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *