फ्रंट लाइन (जालन्धर) मिड-डे मील योजना को भारत में शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। मिड-डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में दोपहर को बच्चों को भोजन दिया जाता है। दूसरी मिड-डे मील सरकारी बच्चों को रोजाना स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करती है। बच्चों के पोषण का ख्याल रखते हुए सरकार ने इस योजना को जारी किया था। इस योजना को पूरे भारत में चलाने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार मिलकर काम करती है।
सरकार द्वारा पिछले काफी समय से मिड-डे मील का फंड जारी नहीं किया गया है जिस कारण अध्यापकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल शिक्षक को मिड-डे मील के बिलों का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ रहा है। राशन और गैस के बिल के भुगतान की प्रक्रिया अधर में लटकी है। दुकानदारों ने भी उधार देने से मना कर दिया है। दूसरी तरफ एल.पी.जी. को लेकर उधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इस दौरान मिड-डे मील को लेकर जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है उसकी जिम्मेदार सरकार है क्योंकि मिड-डे मील बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।
गर्वनमेंट टीचर्ज यूनियन पंजाब के जिला जालंधर के प्रधान करनैल फिल्लौर और जनरल सचिव गणेश भगत ने मिड-डे मील को लेकर प्रेस वार्ता दौरान विचार सांझे किए हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की तस्वीर साफ होती नजर आ रही है। आप सरकार ने भी दूसरी पार्टियों के रास्ते पर चल पड़ी है। बता दें कि आप सरकार ने सत्ता में आने से पहला कहा था कि स्कूलों में किसी भी तरह की ग्रांटों की कमी नहीं आएगी। पिछले 3 महीनों से स्कूलों को कोई भी राशि जारी नहीं की गई और न ही मिड-डे मील बनाने वाले वर्करों को वेतन दिया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि मिड डे मील के तहत दोपहर का भोजन मुहैया करवाने के लिए आती कुकिंग कास्ट गत 2 माह से नहीं आई और तीसरा माह भी आधे से अधिक बीत जाने के बावजूद अभी तक राशि नहीं पहुंची। अगर हालात कुछ देर और ऐसे ही रहे तो सरकारी व एडिड स्कूलों में पढ़ते लाखों विद्यार्थियों को दोपहर का भोजन मिलना बंद हो जाएगा।
Mid-day meal may be closed in schools, know what is the reason