फ्रंट लाइन (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम किया गया। जिस मे श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी नीरू भारती जी ने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि “जगत मंजूरी देत हैं तो क्यों रखे भगवान”।
साध्वी जी ने कहा संसार का असूल है मजदूरी के बदले तनख्वाह। यह नियम सद्गुरु के साम्राज्य में भी लागू होता है ।जब एक साधक भक्ति करता है तो गुरु भी उसे उसकी मेहनत देता है। पर एक फर्क है स्वार्थ और परमार्थ का संसार के मालिकों की एक ही कोशिश रहती है काम ज्यादा से ज्यादा ले ली और मेहनत कम से कम देनी पड़े।लेकिन गुरु के अलौकिक दरबार में ऐसा नहीं है ।वह तो ठीक इसके विपरीत होता है। स्वार्थ लेश मात्र भी नहीं केवल और केवल परहित की भावना अथवा दयालुता इतनी की चुटकी भर प्रयास के बदले में ही सद्गुरु अपना कृपाओं का पूरा अंबार खोल देता है।
अर्पित किए गए एक ही फूल के बदले में पूरे बगीचा ही उपहार में दे डालता है ।इतिहास के पन्नों में दर्ज अनेकों दृष्टांत इस बात को सिद्ध करते हैं, की जगतगुरु श्री कृष्ण की उंगली पर जब चोट लगती है तो कहते हैं कि द्रौपदी ने तत्क्षण अपनी कीमती साड़ी का पल्लू फाड़ कर उनकी उंगली पर बांध दिया ।उस समय प्रभु ने कहा द्रौपदी में तुम्हारे इस कपड़े के एक_एक धागे का ऋणी हूं।
उनका ऐसा कहना किसी औपचारिकता को निभाना नहीं था बल्कि भविष्य में द्रौपदी पर आने वाले संकट से उसकी रक्षा करने का दिव्य वचन था ।यही ऋण था जिसे चुकाने के लिए भगवान द्रोपति के लिए उस समय साड़ी का अंबार लगा देते हैं। इस दिव्य सत्ता का सदा से यही स्वभाव रहा है वह अपने भक्तों द्वारा दी गई छोटी सी भेंट को भी समय आने पर विशाल रूप में लौटाते हैं ।उनकी इस विशालता का अनुमान लगाना भी शायद संभव नहीं है। जिस प्रकार धरती का पानी जब भाप बनकर ऊपर उड़ता है तब बादल उस पानी को हजार गुनाह करके बरसाता है।
इसी तरह गुरु शिष्य के एक _एक भाग के बदले में अपनी दयालुता को अनंत गुना करके बरसाता है। इसीलिए सुदामा, नामदेव ,मीराबाई ,प्रहलाद ऐसे अनेक भक्तों का जीवन हमारे लिए प्रेरणा है ।अब आप ही कहिए कहा है कोई मेल संसार की तनखा और साईं की पगार में? हे!मानव कभी भाव से उसकी सेवा भी करके देख जीवन स्वर्ग तुल्य बन जाएगा अंत में साध्वी संदीप भारती जी ने भजनों का गायन कर संगत को निहाल कर दिया।
Weekly satsang program was organized by Divya Jyoti Jagrati Sansthan at Bidhipur Ashram