फ्रंट लाइन (रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से फगवाड़ा आश्रम में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। महिलाओं को संबोधित करते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सिमरनजीत भारती जी ने कहा कि भारत देश की पवित्र भूमि साक्षी है ऐसी अनगिणत महिलाओं की, जो आत्म बल एवं ब्रह्म शक्ति की ऊँचाईयों को छू पाई, जिनका अध्यात्म तेज अद्भुत था।इसीलिए वह विरोधी प्रतिकुल परिस्थितियों में भी अडिग होकर खड़ी रही और अपने चरित्र पर आँच तक नहीं आने दी। नारी के इस तेज़ के समक्ष प्रेरणाओं की अन्य उदाहरणें भी नतमस्तक होने पर विवश हो गई।
साध्वी तपस्विनी भारती जी ने महिलाओं को उत्थान की ओर अग्रसर करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में नारियों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रकल्प चलाये जा रहे है परंतु विडम्बना देखिए कि उसकी दशा ओर भी दयनीय होती जा रही है। फिर भी शोषण के आंकड़े बढ़ते जा रहे है और यह एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति, सभ्याचार रूपी डोर को छोड़ कर हम कभी भी ऊँची उड़ान नहीं भर सकते। इसलिए महिलाओं को बाहरी अर्थात् शारीरिक स्तर से ज्यादा आत्मिक बल एवं चरित्र को मजबूत बनाना चाहिए क्योंकि ऊचचरित्र सुरक्षा की ढाल होता है। तो आए, अपनी संस्कृति से जुड़ते हुए नारी की नवजाग्रिती की और अपने कदम बढ़ाए।
अगर नारी की आत्मिक शक्ति जागृत हो जाए तो वह समाज को एक नई दिशा प्रदान कर अपने अस्तितव का बोध करवाने में सक्षम हो सकती है। क्षमा, शील, संतोष, ममता, दया इत्यादि नारी के मनोबल को कमजोर नहीं बल्कि उसके शक्ति सवरूप का परिचय देते हैं। एक नारी तभी शक्ति स्वरूपा बन कर समाज के उत्थान में अपना योगदान दे सकती है जब वह खुद ब्रह्मज्ञान के निरंतर अभ्यास से अपने आत्म बल को जाग्रत करें और तब यह समाज आपका प्रशंसक एवं उपासक बनेगा।
नारी को सही दिशा देने के लिए लोकगीत, गिद्धा, कविता आदि का भी कार्यक्रम किया गया।International Women’s Day was celebrated by Divya Jyoti Jagrati Sansthan at Phagwara Ashram