फ्रंट लाइन (रमेश, नवदीप) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, समय-समय पर देश के कोने-कोने में अनेकों भक्त-श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से भक्ति-रस का पान कराता है। इनके जरिए जहाँ एक ओर ग्रंथों में निहित गूढ़ आध्यात्मिक संदेश का प्रतिपादन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालुओं व दिशाभम्रित लोगों को ज्ञान दीक्षा द्वारा भक्ति की शाश्वत विधि भी प्रदान की जा रही है।
इसी शृंखला के अंतर्गत नूरमहलमें भंडारे का आयोजन किया गया। प्रस्तुतीकरण में स्वामी चिन्मयानंद जी ने गुरु की महिमा का गान करते हुए बताया कि इस संसार में सबसे सौभाग्यशाली वह शिष्य हैंजिसे पूर्ण गुरु का सान्निध्य मिल जाता है। यू तो संसार में परमात्मा को प्रत्येक जीव प्रिय होता है किन्तु ब्रह्मज्ञान पर चलने वाले शिष्य पर, गुरु की कृपा का बादल सदैव बरसता रहता है। सत्य के मार्ग पर चलने वाले ऐसे शिष्यों का सारी दुनिया कई युगों तक यशगान गाती है।सत्संग सभा के दौरान साध्वी जगदीपा भारती जी ने कहा कि संसार में जब एक मानव यात्रा करता है तो कई ऐसे पड़ाव आते हैं जब वह अपने आप को अकेला महसूस करता है। ऐसा लगता है हमसे टकराकर हमारा कंधा छीलने वाले कई कंधे हमारे साथ-साथ चल रहे हैं। एक भी ऐसा कंधा नहीं जिस पर हम हाथ रख कर सहारा ले सकें। ऐसी परिस्थिति में केवल सद्गुरु का सहारा ही हमारे जीवन में सम्भल बन कर आता है। यह गुरु का सा6थर्य ही है, जो मानव को पुन: खड़े होने कर डटकर विकारों-कुसंस्कारों से लडऩे का उ️द्भुत सम्भल देता है।
इसी के दौरान आगे श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी उ️मेशानंद जी ने बताया कि एक दार्शनिक ने कहा है कि संसार में तीन तरह के लोग होते हैं, एक जो सिर्फ सलाह देते रहते हैं, दूसरे जो सिर्फ देखते रहते हैं और तीसरे वह लोग होते हैं जो कर्म करते हैं। दुनिया ऐसे ही लोगों को ही याद करती है, जो कर्म करके अपना नाम इतिहास के पन्नों में अंकित करवा लेते हैं। यह संसार उ️न लोगों को याद नहीं करता जो लक्ष्यविहीन जिंदगी जीते हैं, बल्कि संसार उ️न लोगों का यशहान गाती है, जो किसे खास उ️द्देश्य के लिए अपनी जिंदगी को भी कुरबान कर देते हैं। सुबाश चंद्र बोस ने कहा था कि अगर हमें आजादी चाहिए तो हमें एक क्रांति का हिस्सा बनना पड़ेगा। श्री आशुतोष महाराज जी ने भी हमें विश्व शांति का एक महान लक्ष्य प्रदान किया है। उ️न्होंने हमारी निम्न सोच को परिवर्तित करके एक विशाल सेध प्रदान की हैं। गुरु एक शिष्य की चेतना को जाग्रित करके उ️सके भीतर नवीनता को लेकर आता है। यह नवीनता फिर नए युग के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाती है।
Monthly Bhandara organized at Divya Jyoti Jagrati Sansthan Noormahal Ashram