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किसान आंदोलन स्थगित: क्या बदल जाएगी पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत, क्या-क्या और बदलाव होंगे।

फ्रंट लाइन (ब्यूरो) पिछले एक साल से चल रहा किसान आंदोलन स्थगित हो गया। सिंघु बॉर्डर पर गुरुवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक इस मुद्दे पर हुई और उसके बाद आंदोलन को स्थगित करने का एलान कर दिया गया। किसानों को केस वापसी समेत दूसरी सभी मांगें मंजूर होने का सरकार की तरफ से उन्हें आधिकारिक पत्र भी मिल गया। हालांकि किसानों ने आंदोलन को खत्म करने के बजाए इसे स्थगित रखने का फैसला किया है।किसान आंदोलन स्थगित करने की सहमति बनने की बात सुनते ही सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने सुबह से ही टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए थे। अब किसानों ने घर वापसी की तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि वे 11 दिसंबर से बॉर्डर से हटेंगे और उस दिन विजय दिवस मनाएंगे। किसान नेता योगेंद्र यावद ने कहा कि एमएसपी का मुद्दा अभी बाकी हैं और हमें आगे भी संघर्ष करना है। 
किसानों में इस बात की खुशी है कि पिछली बार की तरह इस बार भी कड़ाके की ठंड में उन्हें टेंटों में रातें नहीं गुजारनी पड़ेगी। किसान आंदोलन का स्थगित होना एक तरफ जहां  भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के लिए बेहद राहत की बात है, वहीं चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छिन गया।
Kisan movement postponed: will the politics of Punjab and western Uttar Pradesh change

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