फ्रंट लाइन(रमेश कुमार) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, समय-समय पर देश के कोने-कोने में अनेकों भक्त-श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से भक्ति-रस का पान करवाता आ रहा है। इनके जरिए जहाँ एक ओर ग्रंथों में निहित गूढ़ आध्यात्मिक संदेश का प्रतिपादन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालुओं व दिशाभम्रित लोगों को ज्ञान-दीक्षा द्वारा भक्ति की शाश्वत विधि भी प्रदान की जा रही है।
इसी शृंखला के अंतर्गत नूरमहल में भंडारे का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ समधुर प्राथना एवं भजनों से किया गया। सत्संग सभा के दौरान श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी रंजीतानंद जी ने सद्गुरु की कृपा के बारे बताते हुए कहा
कि जैसे नदी को एक नाँव में बैठ कर ही पार किया जा सकता है, जिसकी क्षमता मात्र २०9२५ सदस्यों को पार करवाने की ही है, उससे बड़ा जहाज है तो अधिक संख्या में लोग बैठ सकते हैं। परन्तु अगर उसी नदी के ऊपर एक सेतु (पुल) का निर्माण हो जाए तो पूरा संसार उसका लाभ उठा सकता है।
ठीक इसी प्रकार सद्गुरु सेतु समान होते हैं, जो पूरे संसार को भवसागर पार करवाने की क्षमता रखते हैं। पूर्ण सद्गुरु के द्वारा पर ही जीव आत्मा का कल्याण होता है। इसी के दौरान आगे साध्वी सौम्या भारती जी ने गुरु की महिमा बताते हुए कहा कि गुरुदेव अथाह शक्ति के पुंज हुआ करते
हैं, जिनकी आज्ञापालन हेतु समपूर्ण सृष्टि आंदोलित रहती है। प्रकृति की समस्त शक्तियां भी उनके द्वार पर सेवा हेतु तत्पर रहती हैं। क्योकि गुरुदेव पाँच तत्वों से निर्मित देह नहीं होते, अपितु स्वयं नारायण स्वरूप होते हैं। ऐसे पूर्ण सद्गुरु की शरण को प्राप्त करके संसार के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
The welfare of the soul takes place only through the Complete Satguru – Sadhvi Soumya Bharti